ख़ुशियाँ अगर चीजों में या धन दौलत में होती तो बीकानेर की इस मजदूर युवती पेमा के चेहरे पर ये मोहक मुस्कान कभी नहीं होती. 21 साल की पेमा जो एक 6 माह के बच्चे की माँ भी है, सुबह 6 बजे उठ जाती है. सुबह की चाय, नाश्ते की रोटियां और लंच की भी तैयारी करना और बीच-बीच में बच्चे की देखभाल. इन सभी के बीच मजदूर पति की चीख चिल्लाहट भी और बीड़ी पीते ससुर की demands भी. पर सब कुछ सहज़ता से पूरा करती हुई…..कोई शिकायत नहीं. कल की कोई चिंता नहीं. सिर्फ आज…….और बस आज. हर कोई ज्ञानी चाहे वो योगाचार्य हो या मोटिवेशनल गुरु या whatsapp पंडित या stress counselor सब ये ही कहते हैं वर्तमान में जियें……. भविष्य की चिंता क्यूँ. वर्तमान में जियो. बुद्ध भी ये ही कह गये. पर हम पढ़े लिखे विद्वान, ऊपर से शहरी लोग……..वर्तमान में जी ही नहीं पाते. हमारे डर जो इतने हैं!!!!!! लालसाएं जो इतनी हैं!!!!! भविष्य की चिंता और planning के तनाव में वर्तमान के बहुत से खुशगवार पलों को हम महसूस ही नहीं कर पाते. पति-पत्नी, प्रेमी-प्रेमिका, बाप-बेटे, सास-बहू के या कोई और लड़ाई-झगड़े,……सब हमें घेरे रहते हैं और स्ट्रैस हमारा परिचय बन जाता है…….फिर शुरू होती है…..counselor से meetings या फिर life changing seminars या कुछ ऐसा ही. पर इस पेमा को जिसे ग्रंथों का, उपनिषदों का, गीता का और ना ही किसी ओशो जैसे विद्वान के ज्ञान का पता है, उसे तो बस एक ही बात मालूम है…..क्या? कि आज के मेहनतकश दिन को भरपूर जीना है…जिसकी शाम में क्या होगा…..ये भी पता नहीं होता. पर वो खुश रहती है. पूरे दिन…….वर्तमान में जीती हुई………कोई शिकायत नहीं!!!!!!! क्या हम इससे नहीं सीख सकते….ख़ुश रहना…सरल रहना बिना किसी शिकायत के!!!!
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